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वो भी एक पल था ये भी एक पल है आए हो एक बात सुनते जाओ,
अपनी तबियत जरा खराब है ,
बदले अपने कुछ मिजाज है इसका मतलब ये नहीं तुम बदल जाओ,
वो भी एक शाम थी ये भी एक शाम है,
थी वो भी नाम तुम्हारे ये भी तुम्हारे नाम है,
इतना मत इतराओ अपनी तबियत जरा खराब है,
फिर भी ये आवाज़ है….
आए हो जाओ मत कह डालो अपने दिल की सुना दो कुछ ,
कहाँ थे इतने दिन क्या किया इतने दिन ?
और जरा मुस्करा दो हर्ज़ क्या है ,
इंतज़ार हमारा क्यू किया इतना बता दो कसम खुदा की तबियत भली होगी,
सुनना चाहा जो उस दिन हमने, कहीं आज वो बात फिर न रह जाये,
तुम अपने दिल मे हम अपने दिल मे ही बात कह जाये ,
आए हो कुछ गुनगुना दो महफिल-ए-रंग जमा दो,
अपनी तबियत जरा खराब है, ज़िंदगी मे सब कुछ बेहिसाब है ,
न रोको आज संगम हो जाने दो मिलन,
खबर फैलने दो डर कैसा ?
वो भी एक रात थी ये भी एक रात है आए हो एक बात सुनते जाओ,
मेरे पास भी एक ख्वाब है जिसमे हो साथ तुम,
दूर आसमा मे सितारे, अंधेरा नहीं कहीं भी रोशन दूर दूर तक नज़ारे,
छुड़ा के ऐसे जा नहीं सकते नादानियाँ छोड़ो,
समझा करो अपनी तबियत जरा खराब है।
~ प्रसनीत यादव ~
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