प्रसनीत यादव ब्लॉग्स
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बारिश की ये बूंद कहती ठंडा मिजाज रखो,
गर्मी बहुत है यारों फिर भी,
बारिश की ये बूंद कहती मुलाकातें खास रखो,
तपते हो क्यू ? जलते हो क्यू ?
बात कैसी भी हो शीतल अपना अंदाज़ रखो,
आग बदले की नहीं हौसलों की आग रखो,
बारिश मे जैसे नहाते हम,
तन मन को खूब भिगाते हम ,
दुख-दर्द कितना मिले वैसे खुशियां भी साथ रखो,
दिन हो गया ये जो रात जैसा
बारिश मे भीग कर खुशनुमा,
अपनी कुछ ऐसी रात रखो ,
बारिश की ये बूंद कहती संग मेरे अपना साथ रखो,
गर्मी बहुत है यारों फैल चुकी सारे जहां मे
तो क्या ?
इस बेहिसाब ज़िंदगी मे थोड़ा हिसाब रखो 🙂
~ HapPy RaInY DaY ~
~ प्रसनीत यादव ~
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