प्रसनीत यादव ब्लॉग्स
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मुझे शायर नहीं शायरी कह दो ,
जिसमे हो खुशी तुम्हारी दर्द तुम्हारा,
जिसमे हर नज़्म तुम्हारी ,
जिसमे हर अंदाज़ तुम्हारे जीने का।
जिसमे हो तड़प तुम्हारी ,
घुलकर जो साँसों मे जिंदगी बन जाये,
बनकर जो धड़कन धडक जाये,
जब-जब पढ़ो सिहर उठो ,
सौ बार टूट कर बिखर उठो ,
लिखा मै जिन पन्नो पर
उन्हे सीने से लगाकर,
गिरा दो मुझ पर आँसू या चूम लो होंठों
से मुझे।
तमन्ना है कोई और नाम न दो,
तुम बस मुझे शायरी कह दो ,
जो देखे मुझे मुझसे मेरे शब्दों से
बहाने इस मुलाकात करे ,
बस अपने दिल की बात करे।
~ प्रसनीत यादव ~
© PRASNEET YADAV
17 Sep, 2013
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