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– एक ख्वाइश –

प्रसनीत यादव ब्लॉग्स
प्रसनीत यादव ब्लॉग्स
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दीवाली में रोशनी ऐसी हो जाय
कोई भूखा न सोये
रौनक हो चेहरे पर मुस्कान खिले
कोई रुखा न सोये
अरमानो को पंख मिले
ख़्वाबों को उनका जीवन
ऐसी एक दीवाली हो
अपनों के प्यार से वंचित
कोई तन्हा न सोये
मेला ये उत्सव का
और रिश्तों का
रहकर दुनिया कि भीड़ में
कोई अकेला न खोये
इन्सां इन्सां में उजियारा हो
हर शख्स यहाँ पर प्यारा हो
हम बाँट सकें कीमती खुशियां
दीवाली के उपहार में
दीवाली में रोशनी ऐसी हो जाए
मिट जाए कोने-कोने अँधेरा
मन के भीतर तक
दीवाली कि सुबह दीवाली कि शाम
हाँथ धरे दीपक कि लौ
और रात भी जलती जाए
दीवाली में रोशनी ऐसी हो जाए
नफरत कि आग बुझ जाए
मज़हब का नाम मिट जाए
एक रात ऐसी भी आये
दीवाली के इंतज़ार में
दीवाली में रोशनी ऐसी हो जाए
ये ख्वाइश पूरी हो जाए
ये ख्वाइश पूरी हो जाए।

~ प्रसनीत यादव ~
26 Oct, 2013

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